डॉ.अभिज्ञात की ग़ज़लें
घने अंधेरे में भी रोशन-रोशन मेरी शब
तेरे अश्कों से भींगे ख़त जलते रहते हैं।
हज़ारों सपनों का सबसे बड़ा खजाना है
मुझसे औलाद की गुल्लख नहीं तोड़ी जाती।