रतजगे
डॉ.अभिज्ञात की ग़ज़लें
Thursday, 12 April 2012
तेरे अश्कों से भींगे ख़त
घने अंधेरे में भी रोशन-रोशन मेरी शब
तेरे अश्कों से भींगे ख़त जलते रहते हैं।
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