रतजगे
डॉ.अभिज्ञात की ग़ज़लें
Tuesday, 2 October 2012
बुजुर्गों की हंसी
मुझे उस घर के बच्चों के ठहाके तक नहीं भाते
के जिस घर से बुजुर्गों की हंसी का वास्ता ना हो।
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