मैं पता अपना उसके घर का कहूं
क्या ख़बर उसका ठिकाना क्या है।।
मेरे दिल तक पहुंच नहीं पाया
उसका पैग़ाम रवाना क्या है।।
एक उलझन सी बनी रहती है
मिलने जुलने का बहाना क्या है।।
क्या ख़बर उसका ठिकाना क्या है।।
मेरे दिल तक पहुंच नहीं पाया
उसका पैग़ाम रवाना क्या है।।
एक उलझन सी बनी रहती है
मिलने जुलने का बहाना क्या है।।
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