आज अरमान अपने रफू कर रहा हूं।
मै फिर से तेरी जूस्तजू कर रहा हूं।
बहुत साल बीते यही कहते कहते
तुझ भूलना अब शुरू कर रहा हूं।
ये बेरंग सी है मेरी जिस्त तन्हा
मैं तेरे लिए रंगो बू कर रहा हूं।
किसी शाख पर तीरगी रह न जाये
मैं रोशन दीये चार-सू कर रहा हूं।
मै फिर से तेरी जूस्तजू कर रहा हूं।
बहुत साल बीते यही कहते कहते
तुझ भूलना अब शुरू कर रहा हूं।
ये बेरंग सी है मेरी जिस्त तन्हा
मैं तेरे लिए रंगो बू कर रहा हूं।
किसी शाख पर तीरगी रह न जाये
मैं रोशन दीये चार-सू कर रहा हूं।
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