फूल जैसा है कुछ महका हुआ॥
तू नहीं है पर तेरा धोखा हुआ॥
जीतने वाला भी रोता है बहुत
ये मुहब्बत का क़िला ऐसा हुआ॥
हम ज़ुदा हैं पर ज़ुदा इतने नहीं
मेरी मंज़िल अब तेरा रस्ता हुआ॥
मेरा इक क़िरदार था गुम हो गया
जब तुम्हारे हाथ का सिक्का हुआ॥
वो न जाने कैसे सच कहकर गया
चाल से लगता नहीं बहका हुआ॥
हर तरफ़ दीवार सी है और तू
इक दरीचे की तरह खुलता हुआ॥
इसकी उसकी बात सुन लूं पहले मैं
अपनी भी कहूंगा जो मौका हुआ॥
beautiful
ReplyDeletehairan hoon 28 sep, se lekar aaj tak doosra comment aapkey blog par nahin. ek tippani thee "door tak failee barf ki chaddar mein khila iklota neela fool" bahut kam blog aapkey blog jitney sundar dhekhney ko miley. yeh gazal bhi aapki mujhey to bahut sundar lagi.vaisey iskey pahley kya hai nahin dekha. blog ki duniya ka anubhav mere liyee vichitr anubhav hai. aaj tak to main tha mera pen tha ithar uthar fudktey kagaz thee.aur main khush tha. yhaan aakar to bas...
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