Tuesday, 29 September 2009

सौ बार सरे-राह..

सौ बार सरे-राह सफ़र छोड़ना पड़ा।।
मंज़िल पे हर परिन्द को पर छोड़ना पड़ा।।

पुश्तैनी घर की जब मेरे दहलीज़ गिर पड़ी
घर को बचाने के लिए घर छोड़ना पड़ा।।

दहशत के लिए हो रहे हैं हमले चारसू
हमलों के ही ज़वाब में डर छोड़ना पड़ा।।

अब तो मिला जो काम वही रास आ गया
जब बिक नहीं सका तो हुनर छोड़ना पड़ा।।

इनसान ने डंसने की रवायत संभाल ली
सांपों को शर्मा आयी जहर छोड़ना पड़ा।।

1 comment:

  1. पुश्तैनी घर की जब मेरे दहलीज़ गिर पड़ी
    घर को बचाने के लिए घर छोड़ना पड़ा।।


    दहशत के लिए हो रहे हैं हमले चारसू
    हमलों के ही ज़वाब में डर छोड़ना पड़ा।।


    अब तो मिला जो काम वही रास आ गया
    जब बिक नहीं सका तो हुनर छोड़ना पड़ा।।


    इनसान ने डंसने की रवायत संभाल ली
    सांपों को शर्मा आयी जहर छोड़ना पड़ा।।

    hamey to sahab aapki ye panktiya pad dr kashmir chodna yad aa gya!!

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