चंद अफ़सुर्दा हिसाबों की सही।।
बात टूटे हुए ख़्वाबों की सही॥
जिसमें ख़त आजकल नहीं आता
मेरे उन भेजे क़िताबों की सही।।
अपने रिश्ते में तो महक न रही
खुशबुएं सुर्ख गुलाबों की सही।।
मेरी हसरत को मिटाने वाले
तेरे मासूम ज़वाबों की सही।।
जी में आता है इन्तज़ार करूं
रुत न लौटेगी बहारों की सही।।
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