Monday, 28 September 2009

बातों-बातों ही..

बातों-बातों ही में ढली होगी।।
वो रात कितनी मनचली होगी।।

तेरे सिरहाने याद भी मेरी
रात भर शम्अ सी जली होगी।।

जिससे निकलेगा आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर, तेरी गली होगी।।

तू है नज़दीक तो दूधिया रंगत
शाम तुझ बिन तो सांवली होगी।।

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