Tuesday, 29 September 2009

दर्द हमारा..

दर्द हमारा कोई बेदर्दी हंसकर ऐसे तोले ना।।
इतना भी आसान नहीं है और किसी का हो लेना।।

इश्क़ हमारा अब तक ज़िन्दा है कितने अफ़सानों में
मैं अब उससे खफ़ा-खफ़ा हूं वो भी मुझसे बोले ना।।

हुस्न में उसके यकसां जादू पास से देखा है मैंने
शर्म से गड़ जायेंगी घटाएं, जुल्फ़ वो अपनी खोले ना।।

बीते दिनों का लम्हा कोई दस्तक दे तो यूं करना
मैं अपने आंसू पोछूं, तुम पलकें अपनी भिगो लेना।।

1 comment: