ऐब सारे छिपा के रहता है।।
घर को जो भी सजा के रहता है।।
किसी बेटी का बाप ही होगा
कैसे नज़रें झुका के रहता है।।
उसको अरसे से ये ख़बर ही नहीं
वो मेरा दिल चुरा के रहता है।।
सुबह होते ही उड़ नहीं जाना
तू परिन्दों सा आ के रहता है।।
और कुछ हो न हो मुसीबत में
मुतमइन कुछ दुआ से रहता है।।
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