Monday, 28 September 2009

ख़्वाब जैसा ही..

ख़्वाब जैसा ही वाक़या होता।।
तू मेरे घर जो आ गया होता।।

जिन ख़तों को संभाल कर रक्खा
काश उनको मैं भेजता होता।।

ख़्वाब के ख़्वाब देखने वाले
आंख से भी तो देखता होता।।

रफ्ता-रफ्ता गुज़र गये मंज़र
मैं खड़ा हूं धुंआ-धुंआ होता।।

ऐसी सूरत तलाश करता हूं
आप मेरे, मैं आपका होता।।

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