आपकी इन चितवनों में देखना।।
मोर-नर्तन उपवनों में देखना।।
दोस्तों की देख ली है दोस्ती
अब बचा क्या दुश्मनों में देखना।।
साधते हैं वो अदाएं क़त्ल की
यूं नहीं है दर्पणों में देखना।।
तल्ख़ है इन रतजगों के दौर में
दीवार अपने आंगनों में देखना।।
रात है तो रोशनी की बात कर
रोशनी मत जुगनुओं में देखना।।
छोड़ते हैं आप हमको किसलिए
सुख मिलेगा बंधनों में देखना।
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