हो खुशगवार सा मौसम मुझे पुकारा करो।।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ नहीं हूं मगर संवारा करो।।
जिसकी सीढ़ी से कभी गिर के मरूं ऐ हमदम
उसी मंज़िल की तरफ़ हल्का सा इशारा करो।।
तुम मेरा ख़्वाब हो या कोई हक़ीकत जानां
कुछ हमसे बात करो, कुछ कहा हमारा करो।।
अगर तुम्हारे नहीं हम तो और किसके हैं
फिर ये सवाल कभी हमसे ना दुबारा करो।।
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