Tuesday 29 September 2009

तूने इल्ज़ाम..

तूने इल्ज़ाम बचा रक्खा है।।
कैसा ईनाम बचा रक्खा है।।

उसके आते ही चुप हुई महफ़िल
कैसा कोहराम मचा रक्खा है।।

उसने सब नाम लिये चुन-चुन कर
मेरा ही नाम बचा रक्खा है।।

और सब मस्ज़िदें सलामत हैं
सबको ही राम बचा रक्खा है।।

अब अजायबघरों में पुतलों के
हमने हुक्काम सज़ा रक्खा है।।

3 comments:

  1. अब अजायबघरों में पुतलों के
    हमने हुक्काम सज़ा रक्खा है।।

    -बहुत खूब!!

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  2. उसके आते ही चुप हुई महफ़िल
    कैसा कोहराम मचा रक्खा है।।
    बेहतरीन्

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  3. उसने सब नाम लिये चुन-चुन कर
    मेरा ही नाम बचा रक्खा है।।
    अब अजायबघरों में पुतलों के
    हमने हुक्काम सज़ा रक्खा है।।
    बहुत बढ़िया ...शुभकामनायें ...!!

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